केंचुआ खाद
VERMICOMPOST
परिभाषा (Definition)
वर्मी कम्पोस्ट को wormi-culture या केंचुआ पालन भी कहा हैं गोबर, सूखे एवं हरे पत्ते, घास फूस, धान का पुआल, मक्का/ बाज़रा की कड़वी, खेतो के अवशेषों, डेयरी / कुकुट अपक्षय, शहर के कूड़ा करकट इत्यादि खाकर केंचुओ द्धारा प्राप्त मल से तैयार खाद वर्मी कल्चर कहलाती हैं। यह केंचुओं के अण्डे व माइकोफ्लोरा का मिश्रण होता हैं। इनसे निकले केंचुए भूमि में सक्रिय रहतें हैं।
केंचुओं के अवशेष / मल उनके कोकून, सभी प्रकार के लाभकारी सूक्ष्म जीवाणु मुख्य एवं सूक्ष्म पोषक तत्व और अपचित जैविक पदार्थों का केंचुएँ मिश्रण वर्मी कम्पोस्ट कहलाता हैं। उपयुक्त तापमान, नमी हवा एवं जैविक पदार्थ मिलने पर केंचुए अपनी संख्या बढ़ाने के साथ-साथ गोबर एवं वानस्पतिक अवशेष आदि को सड़ाकर जैविक खाद के रूप में परिवर्तित करते रहते हैं।
भारतीय उपमहादीप में केंचुआ खाद बनाने हेतु केंचुए की कुछ महत्वपूर्ण प्रजातियाँ निम्नवत हैं:
१- आइसीनिया फोटिडा (Eisenia Foetida)
२- आइसीनिया एंड्रेई (Eisenia Andrie)
३- पेरियोनिक्स एक्सकैवेटस (Parionyx Excavatus)
केंचुआ खाद बनाने हेतु आवश्यक कच्चा माल एवं मशीनरी
केंचुआ खाद बनाने में कच्चे मॉल के रूप में जैविक रूप से अपघटित हो सकने वाले तथा अपघटनशील कार्बनिक कचरे का ही प्रयोग किया जाता हैं। केंचुआ खाद बनाने में सामन्यतः निम्न पदाथों का प्रयोग कच्चे मॉल के रूप में किया जाता हैं।
अ. जानवरों का गोबर (Cow Dung)
1- गाय का गोबर
2- भैसं का गोबर
3- भेड़ का मेंगनी
4- बकरी का मेंगनी
5- घोड़े की लीद
ब. कृषि अवशिष्ट (Agricultural Waste)
1- फसलों के तने, पत्तियों तथा भूसे के अवशेष
2- खरपतवारों की पत्तियां तथा तने
3- सड़ी गली सब्ज़ीयाँ एवं अन्य अपशिष्ट पदार्थ
4- बगीचे की पत्तियों का कूड़ा करकट
5- गन्ने की पत्तियां एवं खोयी
स. पादप उत्पाद (Plant Residues)
१- लकड़ी की छाल, छिलके एवं गुदा
२- विभिन्न प्रकार की पत्तियों का कचरा
३- घासे
४- सड़क तथा रिहायशी इलाको के आस-पास पौधों पत्तियों का कूड़ा
द. शहरी अवशिष्ट एवं कचरा (Urban Waste)
१- सूती कपड़ों का अपशिष्ट
२- कागज इत्यादि का अवशिष्ट
३- मण्डियों में सड़े गले फल तथा सब्जियों का कचरा
४- फलों, सब्जियों इत्यादि की पैकिंग का अपशिष्ट जैसे केले की पत्तियाँ इत्यादि
५- रसोईघर का कूड़ा जैसे फल एवं सब्जियों के छिलके इत्यादि
ध. बायों गैस की स्लरी (Biogas Slurry)
बायोगैस संयंत्र से निकलने वाली स्लरी को सुखाकर प्रयोग किया जाता हैं।
न. औधोगिक अवशिष्ट (Industrial Waste)
१- खाध प्रसंस्करण ईकाइयों का अवशिष्ट
२- आसवन ईकाई का अवशिष्ट
३- प्राकृतिक खाध पदार्थों का अवशिष्ट
४- गन्ने का बगास तथा परिष्करण अवशिष्ट
मशीनरी (Machinary)
१- कार्बनिक अवशिष्ट को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटने हेतु यांत्रिक मशीन / कटर
२- कार्बनिक अवशिष्ट का मिश्रण बनाने हेतु मिश्रण मशीन
३- खुर्पी, फावड़ा, काँटा इत्यादि
४- तौलने की मशीन
५- यांत्रिक छलनी
६- पैकिंग सीलिंग मशीन
७- पानी छिड़काव हेतु हजारा
केंचुआ खाद बनाने हेतु आवश्यकताये
औधोगिक स्तर पर केंचुआ खाद बनाने की इकाई स्थापित करने के लिए निम्नलिखित आवश्य्कता होती हैं।
अ). इकाई हेतु स्थान (Site for Unit)
औसतन 150 टन प्रति वर्ष क्षमता की केंचुआ खाद इकाई की स्थापना हेतु लगभग 5000 बर्ग फिट जगह की आवशयकता होती हैं।
ब). कार्बनिक अवशिष्ट (Organic Waste)
आर्थिक रूप से सक्षम एक केंचुआ खाद इकाई हेतु लगभग 4 टन / दिन या 30 टन प्रति सप्ताह की दर से कार्बनिक अवशिष्ट की आवश्यकता होती हैं।
स). संरचना (Infrastructure)
१- 12 फिट X 10 फिट X 40 फिट (4800 sq. ft.) आकार के छप्पर लगभग 150-175 टन प्रति वर्ष केंचुआ खाद बनाने हेतु पर्याप्त होते हैं।
२- केंचुआ खाद बनाने की बेड में पानी के छिड़काव हेतु फव्वारे (Sprinkler) का प्रबंध।
३- छप्पर के अन्दर हवा उचित प्रवाह का प्रबन्ध होना चाहिए।
४- केंचुआ खाद को सुखाने हेतु 12 फिट X 6 फिट X 1 फिट आकार का सीमेन्ट का पक्का फर्श।
५- प्रसंस्कृत केंचुआ खाद हेतु भण्डारण की व्यवस्था।
६- पानी की व्यवस्था।
वर्मीकम्पोस्ट बनाने की विधियां
क्यारियों को भरने के लिए पेड़-पौधों की पत्तियों, घास, सब्जी व फलो के छिलके, गोबर आदि अपघटनशील कार्बनिक पदार्थों का चुनाव करतें हैं। इन पदार्थों को क्यारियों में भरने से पहले ढेर बनाकर 15 से 20 दिन तक सड़ने के लिए रखा जाना आवश्यक हैं। सड़ने के लिए रखे गए कार्बनिक पदार्थों के मिश्रण में पानी छिड़क क्र ढ़ेर को छोड़ दिया जाता हैं। 15 से 20 दिन बाद कचरा अधगले रूप (Partially Decomposed) में रखा जाता हैं। ऐसा कचरा केंचुओ के लिए बहुत ही अच्छा भोजन माना गया हैं। अधगले कचरे को क्यारियों में 50 सेन्टीमीटर ऊंचाई तक भर पानी छिड़क कर प्रत्येक क्यारी को गीली बोरियों से ढक देते हैं। एक टन कचरे से 0.6 से 0.7 टन केंचुआ खाद प्राप्त हो जाती हैं।
(ख) चक्रीय चार हौद विधि (Four-pit Method) : इस विधि में चुने गए स्थान पर 1212'2.5' (लम्बाई चौड़ाई ऊँचाई) का गड्ढा बनाया जाता हैं। इस गड्ढे को ईट की दीवारों से 4 बराबर भागों में बाँट दिया जाता हैं। इस प्रकार कुल 4 क्यारियां बन जाती हैं। प्रत्येक क्यारी का आकार लगभग 5.5' 5.5' 2.5' होता हैं। बीच की विभाजक दीवार मजबूती के लिए दो ईंटों (9 इंच) की बनाई जाती हैं। विभाजक दीवारों में समान दुरी पर हवा व केंचुओं के आने जाने के लिए छिद्र छोड़ें जातें हैं। इस प्रकार की क्यारियों की संख्या आवश्यकतानुसार रखी जा सकती हैं।
इस विधि में प्रत्येक क्यारी को एक के बाद एक भरतें हैं अर्थात पहले एक महीने तक पहला गड्ढा भरतें हैं पूरा गड्ढा भर जाने के बाद पानी छिड़क कर काले पालीथीन से ढक देतें हैं ताकि कचरे के विघटन की प्रक्रिया आरम्भ हो जाये। इसके बाद दूसरे गड्ढे में कचरा भरना आरम्भ कर देतें हैं। दूसरे माह जब दूसरा गड्ढा भर जाता हैं तब ढक देतें हैं और कचरा तीसरे गड्ढे में भरना आरम्भ कर देतें हैं। इस समय तक पहले गड्ढे का कचरा अधगले रूप में आ जाता हैं। एक दो दिन बाद जब पहले गड्ढे में गर्मी (heat) कम हो जाती हैं तब उसमें लगभग 5 किलोग्राम (5000) केंचुए छोड़ देतें हैं। इसके बाद गड्ढे को सुखी घास अथवा बोरियों से ढक देतें हैं। कचरे में गीलापन बनाये रखने के लिए आवश्यकतानुसार पानी छिड़कते रहतें हैं। इस प्रकार 3 माह बाद जब तीसरा गड्ढा कचरे से भर जाता हैं तब इसे पानी से भिगो कर ढक देतें हैं और चौथे गड्ढे में कचरा भरना आरम्भ कर देतें हैं। धीरे-धीरे जब दूसरे गड्ढे की गर्मी कम हो जाती हैं तब उसमें पहले गड्ढे से केंचुए विभाजक दीवार में बने छिद्रों से अपने आप प्रवेश कर जातें हैं और उसमें भी केंचुआ खाद बनना आरम्भ हो जाता हैं। इस प्रकार चार माह में एक के बाद एक चारों गड्ढे भर जातें हैं। इस समय तक पहले गड्ढे में जिसे भरे हुए चार माह हो चुके हैं, केंचुआ खाद (वर्मीकम्पोस्ट) बनकर तैयार हो जाता हैं। इस गड्ढे के सारे केंचुए दूसरे एवं तीसरे गड्ढे में धीरे-धीरे बीच की दीवारों में बने छिद्रों द्धारा प्रवेश कर जातें हैं। अब पहले गड्ढे से खाद निकलने की प्रक्रिया आरम्भ की जा सकती हैं। खाद निकालने के बाद उसमें पुनः कचरा भरना आरम्भ कर देतें हैं। इस विधि में एक वर्ष में प्रत्येक गड्ढे में एक बार में लगभग 10 कुन्टल कचरा भरा जाता हैं जिससे एक बार में 7 कुन्तल खाद (70 प्रतिशत) बनकर तैयार होता हैं। इस प्रकार एक वर्ष में चार गड्ढों से तीन चक्रों में कुल 84 कुंतल खाद (437) प्राप्त होता हैं। इसके अलावा एक वर्ष में एक गड्ढे से 25 किलोग्राम और 4 गड्ढों से कुल 100 किलोग्राम केंचुए भी प्राप्त होतें हैं।
(ग) केंचुआ खाद बनाने की चरणबद्ध विधि
केंचुआ खाद बनाने हेतु चरणबद्ध निम्न प्रक्रिया अपनातें हैं।
1:- कार्बनिक अवशिष्ट / कचरे में से पत्थर, काँच, प्लास्टिक, सिरेमिक तथा धातु को अलग करके कार्बनिक कचरे के बड़े ढ़ेलों को तोड़कर ढ़ेर बनाया जाता हैं।
2:- मोटे कार्बनिक अवशिष्टों जैसे पत्तियों का कूड़ा, पौधो के तने, गन्ने की भूसी/खोयी को 2-4 इंच आकार के छोटे-छोटे टुकड़ों में काटा जाता हैं। इससे खाद बनने में कम समय लगता हैं।
3:- कचरें में से दुर्गन्ध हटाने तथा अवाँछित जीवों को खत्म करने के लिए कचरे को एक फुट मोटी सतह के रूप में फैलाकर धुप में सुखाया जाता हैं।
4:- अवशिष्ट को गाय के गोबर में मिलाकर एक माह तक सड़ाने हेतु गड्ढे में डाल दिया जाता हैं। उचित नमी बनाने हेतु रोज पानी का छिड़काव किया जाता हैं।
5:- केंचुआ खाद बनाने के लिए सर्वप्रथम फर्श पर बालू की 1 इंच मोटी पर्त बिछाकर उसके ऊपर 3-4 इंच मोटाई में फसल का अपशिष्ट / मोटे पदार्थो की पर्त बिछाते हैं। पुनः उसके ऊपर 4 से प्राप्त पदार्थों की 18 इंच मोटी पर्त इस प्रकार बिछाते हैं की इसकी चौड़ाई 40-45 इंच बन जाती हैं। बेड की लम्बाई को छप्पर में उपलब्ध जगह के आधार पर रखतें हैं। इस प्रकार 10 फिट लम्बाई की बेड में लगभग 500 किलोग्राम कार्बनिक अपशिष्ट समाहित हो जाता हैं। बेड को अर्धवृताकार का रखतें हैं जिससे केंचुए को घूमने के लिए पर्याप्त स्थान तथा बेड में हवा का प्रबंधन संभव हो सके। इस प्रकार बेड बनाने के बाद उचित नमी बनाए रखने के लिए पानी का छिड़काव करते रहते हैं ततपश्चात इसे 2-3 दिनों के लिए छोड़ देते है।
6:- जब बेड के सभी भागों में तापमान सामान्य हो जाये तब इसमें लगभग 5000 केंचुए / 500 किलोग्राम अवशिष्ट की दर से केंचुआ तथा कोकून का मिश्रण बेड की एक तरफ से इस प्रकार डालतें हैं की यह लम्बाई में एक तरफ से पुरे बेड तक पहुंच जाए।
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