SOKUSAI (सोकुसाई)
सोकुसाई (प्रेटीलाक्लोर 50% ई. सी. एक चुनिंदा खरपतवारनाशक हैं जिससे भार/भार के हिसाब से 50 प्रतिशत प्रेटीलाक्लोर ई. सी. के रूप में मौजूद होता हैं। यह खरपतवार नाशक जो घास, मोथा तथा चौड़े पत्ते वाले खरपतवारों के नियंत्रण के लिए रोपित धान में इस्तेमाल किया जाता हैं।
धान में प्रयोग के लिए चुनिंदा सिस्टमैटिक (अंतर्प्रवाही) खर-पतवारनाशक
- सोकुसाई खरपतवारों के क्लोरोएसिटोसाइट समूह से संबन्धित हैं।
- सोकुसाई धान की फसल में घास फूल का, चौड़ी पत्ती एवं कुछ सेज समूह से उगने से पहले खरपतवार के नियंत्रण के लिए अनुसंशित हैं।
- सोकुसाई खरपतवारों की उगने की अवस्था में ही उनके कोशिका विभाजन को अवरुद्ध करके उनकी बढ़वार को रोक देता हैं।
- सोकुसाई का प्रयोग धान की रोपाई के 5 दिन के अन्दर ही कर देना चाहिए। बेहतर परिणाम के लिए एक बार छिड़काव करना चाहिए एवं प्रयोग के 2-3 दिन तक खेत में पानी रोक कर रखना आवश्यक होता हैं।
- सोकुसाई प्रभावित खरपतवारों की कोशिका - विभाजन को अवरुद्ध करके उनकी बढ़वार को रोक देता हैं।
- सोकुसाई धान की फसल के लिए सुरक्षित एवं चुनिंदा खरपतवार नाशक हैं। यह धान की फसल में शुरुआती अवस्था से ही लम्बे समय तक खरपतवारों को नियंत्रण करता हैं।
- सोकुसाई का प्रयोग रोपित धान की फसल में करना बेहतर होता हैं और इसका असर लम्बे समय तक बना रहता हैं।
- सोकुसाई का प्रयोग समन्वित खरपतवार नियंत्रण तकनीकी के माध्यम से किया जा सकता हैं। इसका प्रयोग हर प्रकार के वातावरण की हर परिस्थिति में धान की सभी किस्मों में किया जा सकता हैं।
इसे रोपित धान में होने वाले खरपतवार जैसे की:- सांवा घास (लाल घास), जंगली धान, मोरफुला (धान का मोथा), छतरी वाला मोथा (डिला सफेद), सफेद फूल वाली बूटी (भंगरा), पिले फूल वाली बूटी, पान पत्ता, बंसी इत्यादि के खर-पतवार हेतु 400 - 600 मि.ली. प्रति एकड़ की दर से 200 - 300 लीटर पानी की मात्रा में 75 - 90 दिनों के अंतराल पर इसका प्रयोग करें।
छिड़काव का समय:- रोपाई के बाद 5 दिन के अन्दर।
उपयोग के लिए निर्देश:- इसका उपयोग रोपाई के 5 दिन के भीतर (उगने से पूर्व) करना चाहिए। पहले उत्पाद की वांछित मात्रा, थोड़े से पानी के साथ अच्छी तरह से मिलाये। फिर ऊपर निर्दिष्ट मात्रा का बाकि पानी मिलाकर अच्छी तरह से मिलाये और नैपसैक स्प्रेयर, जिस पर फ़्लैट फैन/फ्लड जैट नोजल लगा हो, छिड़काव करें।
प्रयोगकर्ताओं के लिए सावधानियाँ:-
- खाध-सामग्री, खाध सामग्री के खाली बर्तन और पशुओं के चारे से दूर रखे।
- मुँह, त्वचा और आँखों के सम्पर्क से बचाएं।
- छिड़काव की वाष्प को साँस द्धारा अंदर जाने से बचाये। हवा की दिशा में छिड़काव करें।
- छिड़काव के बाद दूषित कपड़ों और शरीर के अंगों को अच्छी तरह से धोए।
- छिड़काव के समय धूम्रपान, खाना, पीना और कुछ चबाना नहीं चाहिए।
- छिड़काव करतें समय या मिलातें समय सुरक्षात्मक कपड़े पहनना चाहिए।
विष के लक्षण:- सिरदर्द, सुस्ती, मितली, उलटी, घबराहट, चक्कर आना हो सकता हैं।
प्राथमिक चिकित्सक:-
- यदि निगल जाए तो गले की पीछे गुदगुदी करके उलटी कराये यह क्रिया तब तक दोहराते रहे जब तक उलटी द्धारा निकला पदार्थ साफ न हो जाए। यदि मरीज बेहोस हैं तो उलटी न ही कराए।
- यदि कपड़े और त्वचा पर लग जाए तो कपडे को उतार दे और दूषित त्वचा को काफी मात्रा में साबुन और पानी से धोए।
- यदि आंखे दूषित हो जाए तो आँखों को सैलाइन या पानी से लगभग 10 से 15 मिनट तक धोए।
- यदि साँस द्धारा अंदर गया हो तो रोगी को शुद्ध हवा में ले कर जाए।
विषनाशक:- कोई विशिष्ट विषनाशक नहीं हैं, लक्षणनुसार इलाज करें।
खाली डब्बों का निपटारा:-
- खाली डिब्बों को तोड़-फोड़ कर आबादी से दूर जमीन में गाड़ दे।
- बची हुई खरपतवार नाशक, साधनों के धोवन का योग्य रीती से निपटारा करें ताकि जिससे पिने का पानी एवं वातावरण दूषित न हों।
संग्रहण की शर्तें:-
- खरपतवारनाशकों के पैकटों को अलग अलग कमरों अथवा जगहों में खाध पदार्थ रखे जाने वाले कमरों अथवा जगहों से अलग आलमारियों में टाला चाभी के अंदर रखना चाहिए।
- जिस कमरें अथवा जगह में खरपतवारनाशक का भंडारण करना हो वह अच्छी तरह बना हुआ, सूखा हवादार तथा प्रकाश युक्त व काफी लम्बा-चौड़ा होना चाहिए जिससे खरपतवारनाशक से वातावरण दूषित न होने पाए।
नोट:- दिए गए उपरोक्त जानकारी में निर्दिष्ट फसलों के अलावा अन्य फसलों पर इस्तेमाल न करें।
मात्रा:- आधा लीटर प्रति एकड़ (500 मि.ली. सुकोसाई + 500 मि.ली. पानी) के साथ छिड़काव करें।
लेखक :- ए. पी. सिंह M.Sc. agronomy (www.agriculturebaba.com)
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