सागरिका क्या हैं ?
- सागरिका समुद्री पौधे कप्पाफिक्स अलवरेजजी (Kappaphycus alvarezii) व सर्गासम प्रजाति (Sargassum Soecies) से निकाला हुआ एक प्राकृतिक अर्क हैं, जो रसायन रहित व पूर्णतया एक कार्बनिक उत्पाद हैं।
- सागरिका सूक्ष्म एवं गौड़ पोषक तत्वों का प्रमुख स्रोत हैं, जिसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस,पोटाश,कैल्शियम,मैग्नीशियम, लोहा,गंधक,तांबा,मैगनीज,कोबाल्ट,जस्ता आदि प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं।
- इसमें प्राकृतिक पौध वृद्धि नियामक भी उपलब्ध हैं, जिसमें ऑक्सिन, साइटोकाइनिन और जिब्बरेलीन प्रचुर मात्रा में हैं, जो पौधों की चयापचयी (Metabolic) क्रियाओं को बढ़ाता हैं।
सागरिका प्रयोग से लाभ
- इसके प्रयोग से पौधों की जड़ों की बढ़वार अधिक होती हैं व पोधों में अधिक तापमान व सूखे को सहन करने की शक्ति मिलती हैं।
- फसलों के पुष्पण (Flowering) में वृद्धि के साथ-साथ फलों के गिरने से रोकता हैं। उपज वृद्धि के साथ-साथ फसलों की गुणवत्ता को बढ़ाता हैं।
- एक प्राकृतिक मृदा अनुकूलन (Conditioner) के रूप में कार्य करतें हुए मृदा की सूक्ष्म जीवी क्रियाओं को बढ़ाता हैं जो मृदा स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
- पौधों में किट व बीमारियों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता हैं।
सागरिका का प्रयोग
- सागरिका तरल तथा दानेदार दोनों रूप में उपयोग के लिए उपलब्ध हैं।
- सभी धान्य फसलों, दलहन, तिलहन, फलों एवं सब्जियों, शर्करा व रेशे वाली फसलों, बागवानी फसलों, औषधीय एवं सुगंधीय फसलों के लिए उपर्युक्त होता हैं।
- फसलों की बुआई के समय अथवा खड़ी फसल में उपयोग किया जा सकता हैं।
- सागरिका तरल 100, 250, 500 तथा 1000 मिली / 500 ml बोतल में उपलब्ध हैं।
- जड़ों/बीज को 0.3% घोल में डुबोकर उपयोग करें (घोल बनाने के लिए 3 मिली सागरिका तरल को 1 लीटर पानी में)
- सुबह के समय ओस खत्म होने के बाद स्प्रे/छिड़काव करें।
प्रथम छिड़काव:- फसल बढ़वार/कल्ले निकलने की अवस्था में।
दूसरा छिड़काव:- फूल निकलने से पहले की अवस्था में।
तीसरा छिड़काव:- फूल निकलने के बाद की अवस्था में।
- मात्रा:- 2-3 मिली. प्रति लीटर पानी में फसल मांग के अनुसार।
- प्रायः सभी कीटनाशी, फफूंदनाशी व शत प्रतिशत जल विलेय उर्वरकों के साथ मिलाकर प्रयोग किया जाता हैं।
- सागरिका दानेदार 10 किग्रा बाल्टी या बैग प्रति एकड़ की दर से खड़ी फसल में 15-20 दिन के अंतराल पर दो बार प्रयोग करें।
- बागवानी फसलों में 100-150 ग्राम प्रति पौधा की दर से उपयोग करें।
फसलवार सागरिका का उपयोग
लेखक :- ए. पी. सिंह M.Sc. agronomy (www.agriculturebaba.com)
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