पालीहाउस में गुलाब का वैज्ञानिक उत्पाद
विश्व बाज़ारो में गुलाब के कटे फूलो की मांग तेजी से बढ़ रही हैं। ज्यादातर कटे फूलो का प्रयोग गुलदस्ता बनाने, विभिन्न प्रकार की सजावटो तथा उपहारों के रूप में प्रयोग किया जाता हैं। पस्चिमी देशो में गुलाब के कटे फूलो की खपत दिनों-दिन बढ़ रही हैं, परन्तु उत्पादन लागत अधिक होने के कारन भारत जैसे देशो में गुलाब की खेती की सम्भावनाये अधिक हो गयी हैं। गुलाब के कटे फूलो का उत्पादन करने के लिए उत्पादन लागत एवं फूलो की गुद्वात्ता को ध्यान में रखना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में फूलो की कम लागत पर अच्छी गुद्वात्ता की सफल पुष्प उत्पादन की कुंजी हैं।
किस्में :- कट फ्लावर के लिए कुछ किस्मो की ही मांग अधिक मांग हैं, जो विषेशकर गुलदस्ते एवं पुष्प विन्यास के प्रयोग में लायी जाती हैं। इनमे से बड़े आकार के फूलों की किस्मे- सोनिया , वीसी, आइलिना, रेड सक्सेस , फस्ट रेड , बत्थरा , कारलाइट , आदि हैं।
जलवायु :- गुलाब की संरछित खेती कही भी की जा सकती हैं। गुलाब उत्पादन के लिए वह स्थान अधिक उपयोगी हैं , जहां पर तापमान 15 से 28 डिग्री सेल्सियस के मध्य रहता हैं।
भूमि की तेेयारी:- गुलाब की खेती के लिए दोमट मिटटी चाहिए , जिसमे 30 प्रतिशत कार्बनिक पदार्थ विधमान हो , ताकि मिटटी में हवा का आवागमन सुचारु रूप से हो सके। पी.एच. 6-6.5 के मध्य होना चाहिये। गुलाब खड़े पानी के प्रति बहुत ही संवेदनशील हैं। अतः मिटटी की तैयारी के समय पानी के निकास का उचित प्रबंध करें। गुलाब मिटटी के बिना उगाया जा रहा हैं, जैसे रॉकवूल तथा कोकोपिट। साधारणतः मिटटी में कार्बनिक अवयवों के रूप में कोकोपिट तथा अन्य खादों को मिलाकर मिटटी का निर्माण किया जाता हैं।
पालीहाउस प्रबंध :- गुलाब की खेती करने में ऊतम गुडवता वाले फूल पैदा करने के लिए पालीहाउस में फसलों को बारिस , पाला, गर्मी,कीड़ों का आक्रमण, अधिक आद्रता आदि से बचाकर फूलो को विभिन्न दोषो से मुक्त रखती हैं। पॉलीहाउस विशेष नियंत्रित वातावरण भी उत्पन्न करने में सछम होते हैं तथा इसका प्रबंधन उत्तम गुणवत्ता वाले फूल उत्त्पन्न करतें हैं।
तापमान :- गुलाब की खेती के लिए उच्चतम तापमान 15-28 डिग्री से. होता हैं। यदि तापमान अधिकता या गिरावट हो जाती हैं तो फूलो पर उसका विपरीत प्रभाव पड़ता हैं। यदि तापमान 26 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाता हैं, तो फूलों में पंखुड़ियों की संख्या घट जाती हैं, फूल डंडियों की लम्बाई कम हो जाती हैं। फूलों की गुलदान आयु कम हो जाती हैं तथा फूलों की बनावट में बदलाव आ जाता हैं, जिससे बाजार भाव कम हो जातें हैं। यदि तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से कम रहता है तो पंखुड़ियों के रंग गहरे हो जातें हैं। वृद्धि रूक जाती हैं, जिससे पुष्पादन में अधिक समय लगता हैं। पानी कम सोखने के कारण फूलों की गुलदान आयु कम हो जाती हैं।
अनुकूलतम तापमान दिन में 28 डिग्री सेंटीग्रेट तथा रात में 18 डिग्री सेंटीग्रेड के दौरान पौधो में वांछित वृद्धि होती हैं,फूलों की बढ़वार के साथ उपज भी बढ़ जाती हैं। उच्च तापमान को कम करने के लिए पॉलीहाउस को हवादार बनाकर नियंत्रित किया जा सकता हैं परन्तु अधिक गर्मी वाले छेत्रो में कुलरो का प्रयोग करके तापमान को कम किया जाता हैं। इसके लिए फैन-पेड सिस्टम, फुआर पंप तथा पानी के छिड़काव के अन्य तरीको द्वारा तापमान को कम कर दिया जाता हैं। निम्मन तापमान की स्थिति में पौधो को निम्मन तापमान से होने वाली हानियों से बचाने के लिए तापमान 10 डिग्री सेंटीग्रेड हो जाने पर गर्म करने वाले यंत्रो हीटर , सोलर हीटर का प्रयोग अच्छा होता हैं।
क्यारियां तथा रोपण :- गुलाब की क्यारियों की चौड़ाई 1.0-1.2 मीटर रखी जाती हैं तथा लम्बाई पालीहाउस की लम्बाई के अनुसार निर्धारित की जाती हैं। क्यारियों के मध्य 40 सेंटीमीटर चौड़ा चलने तथा काम करने के लिए रास्ता बनाना चाहिए। पौधो की रोपाई उठी हुई मेढ़ो पर की जाती हैं। क्यारियों में रोपण के समय कतारों की संख्यां 2-4 तक हो सकती हैं। कतारों में पौधो को किस्म के अनुसार 18-30 सेंटीमीटर की दुरी पर रोपित किया जाता हैं। इसप्रकार 5-7 पौधा प्रति वर्ग मीटर लगाना लाभकारी हैं। पौधो को क्यारियों में लगाने का उचित समय जुलाई से सितंबर हैं।
सिचाई :- गुलाब के पौधो को अधिक पानी की अवस्य्क्ता पड़ती हैं। साधारणतया गुलाब की क्यारिया हर समय नम रहनी चाहिए परन्तु पानी खड़ा न रहे। टपक सिचाई द्वारा सिचाई करना अधिक लाभकारी है। खाद आपूर्ति भी टपक सिचाई द्वारा पानी के साथ दी जा सकती हैं , जो अत्यंत लाभदायक व सस्ती पड़ती हैं। नाईट्रोजन व पोटाश की मात्रृा लगभग 200 पी पी एम सप्ताह में दो बार देनी चाहिए। सिचाई वाले पानी के साथ फास्फोरस 1.8-2.0 किलोग्राम प्रति घनमीटर मिटटी की हिसाब से मिटटी की तैयारी के समय मिलनी चाहिए।
कॉट-छांट व सधाई :- यह एक अत्यंत जरूरी कार्य हैं , जो की गुलाब के पौधो से अच्छी पैदावार लेने के लिए किया जाता हैं। ट्रेनीग से से पौधो की आकृति व बनावट तथा प्रूनिंग द्वारा पौधो की उत्पादन कार्यं प्रणाली नियंत्रित होती हैं। पौधो के तने 3-4 आँख छोड़कर काट दिए जाते हैं। इस प्रक्रिया में मुख्य तने को छोटा करने का लछ्य होता है, ताकि विगत वर्ष की वृद्धि के कारण पौधे क्यारियों से बाहर फैलने लगतें हैं तथा फूल आने पर झुकने लगते हैं इसको रोकने के लिए तार बांधकर सहारा दिया हैं।
फूलों की तुड़ाई :- फूलों को तोड़ने की एक उचित अवस्था होती हैं। यदि हम इस अवस्था से पहले फूल तोड़ लेते है तो बाद में फूल पूरी तरह से खिल नहीं पाते, यदि उचित अवस्था के बाद फूल तोड़ेंगे, तो फूलों की गुलदान आयु कम हो जाएगी। अतः फूलों की कल्लीका जब खिलना शुरू कर दे, तब फूलों को तोडना चाहियें। फूलों की कटाई शाम व सबेरे के समय ही करनी चाहिए और फूलों को लम्बी डंडी के साथ काट कर कटे भाग को बाल्टी में साफ़ पानी में बनाएं सीट्रिक एसिड (200 पी पी एम) के घोल में डुबों देना चाहिए।
ग्रेडिंग व पैकिंग :- गुलाब के फूलों की ग्रेडिंग, फूल तनो की लम्बाई तथा कलियों के आकार के आधार पर की जाती हैं।
* एक बंडल में 20 फूल तनो को रबर के छज्जो की सहायता से बांध कर बनाते हैं।
*बंडलों में फूल कलियों वाले भाग को उभरे गत्ते की सहायता से लपेटते हैं।
*बंडलों को गत्ते के विशेष प्रकार के बने डिब्बों में पैक किया जाता हैं। एक डिब्बे में 400-1000 फूलों को रखा जा सकता हैं। कोरूगेटेड बॉक्स फूलों को विभिन्न नुकसानो से बचाता हैं।
किट एवं बीमारी नियंत्रण :- गुलाब की फसल को मुख्यतः कुछ कीड़े जिसमें रेड स्पाइडर माइट, सफ़ेद मक्खी, थ्रिप्स नुक्सान पहुचातें हैं। इसी प्रकार कुछ बीमारियां जैसे:- पाउडरी मिल्डयु, डाउनी मिल्डयु, डाइबैक नुक्सान पहुंचाते हैं। इन बीमारियों तथा कीड़ों के नियंत्रण के लिए पालीहाउस में मैंकोजेब 2 ग्राम प्रति लीटर मैटासिस्टाक्स 1.25 मिली प्रति लीटर तथा डाइनोकैप 1.0 मिली प्रति लीटर के घोल का छिड़काव करें।
अधिक जानकारी के लिए हमारे YouTube Channel को लिंक करें :-https://www.youtube.com/channel/UCLzvhZCV0nPHpk4RIKpHT9w
और हमारे Facebook Page को लिंक करें :- https://www.facebook.com/Agriculture-Baba-106481014364331/
और हमारे Facebook Page को लिंक करें :- https://www.facebook.com/Agriculture-Baba-106481014364331/
2 comments
Click here for commentsNice topic sir ji
Replyvery useful...
ReplyIf you have any doubts, Please let me know and Please do not enter any spam link in the comment box. ConversionConversion EmoticonEmoticon