मुलेठी की वैज्ञानिक खेती कैसे करें
How to do Scientific Cultivation of Liquorice

मुलेठी की वैज्ञानिक खेती किसनो के लिए लाभकारी साबित हो रही हैं। इसकी खेती करने में कम से कम लागत एवं मुनाफा अधिक हो रहा हैं। शायद यही कारण हैं की सरकार भी इसकी खेती को प्रोत्साहित कर रही हैं। सामन्यतः लोगों की आम-बोलचाल की भाषा में इसे "मिठी-जड़" के नाम से भी जाना जाता है तथा इसका उपयोग खाने के अलावा, गले की खराश, खांसी एवं आयुर्वेदिक दवाइयों के रूप में इसका इस्तेमाल हो रहा हैं। इसके पेड़ के शाखाओं की झाड़ियों को कफ निवारक एवं जलन रोधक कहा जाता हैं। तथा इसका कई बिमारियों में इसका उपयोग होता है।
इसका उपयोग त्वचा से संबंधित समस्याओं, पीलिया, अल्सर, ब्रोंकाइटिस आदि में इस्तेमाल होने के कारण इसकी मांग काफी बढ़ती जा रही हैं। इसकी खेती के लिए राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड से किसान मित्र को सरकार की तरफ से 50 प्रतिशत तक का अनुदान मिल सकता हैं।
आज आप किसान मित्रों को www.agriculturebaba.com में मुलेठी की वैज्ञानिक खेती के विषय में आप से चर्चा करेंगें।
Mulethi is a Shrubby Plant
मुलेठी एक झाड़ीनुमा पौधा हैं
मुलेठी को एक सदाबहार झाड़ीनुमा पौधा कहाँ जाता हैं। इसकी औसत ऊंचाई लगभग 120 सेंटीमीटर के आस-पास हो सकता हैं, जबकि इसके फूलों का रंग सफेद नीले रंग या जामुनी रंग का हो सकता हैं। इसके फलों में बीजों की मात्रा अधिक होती हैं। स्वाद में इसके जड़ मीठे होते हैं। आज के समय में इसकी खेती मुख्य तौर पर पंजाब और हिमालयी क्षेत्रों में होती हैं।
Climate and Soil
जलवायु एवं मिट्टी
इसकी खेती लगभग सभी तरह की मिटटी पर हों सकती हैं। लेकिन रेतीली-चिकनी दोमट मिट्टी या मृदा इसकी खेती के लिए उत्तम होता हैं। भारत की जलवायु के हिसाब से इसकी खेती उत्तरी-पश्चिमी क्षत्रों में अच्छी सिद्ध हो सकती हैं।
Proper Sowing Time
बीजाई का उचित समय
इसकी बीजाई का उचित समय जुलाई-अगस्त में आसनी से हो सकता हैं। बीजाई से पहलें खेतों की जुताई करके उन्हें समतल करना जरूरी होता हैं। मिट्टी को नरम होने तक जोतकर उनमे उपस्थित खर-पतवारों को अच्छे से निकाल देना चाहिए तथा ये ध्यान रहें की खेत में ज्यादा पानी न रहे।
Transplant
प्रत्यारोपण
रोपाई का फासला 90 x 45 सेंटीमीटर तक होना चाहिए जबकि इसकी बीजाई को सीधे या पनीरी लगाकर करना चाहिए। अगर आप चाहें तो बीज में अन्तर प्रजातियों को भी लगा सकतें हैं।
Proper Irrigation Time
सिंचाई का उचित समय
गर्मियों के मौसम में 30 से 45 दिनों के अन्तराल पर सिंचाई करें जबकि सर्दियों में सिंचाई जरूरत के अनुसार करना चाहिए एवं पौधों की जड़ो को गलन से बचाने के लिए पानी की स्थिरता को रोकना जरूरी होता हैं।
Proper Harvesting Time
कटाई का उचित समय
मुलेठी की उत्तम फसल लेने हेतु इसकी रोपाई के ढ़ाई या तीन साल बाद पौधें उपज देने के लायक जातें हैं। आप किसान भाई इसकी कटाई का काम नवंबर से दिसंबर में करना उचित रहेगा। इसकी कटाई के उपरान्त इसके काटें गए जड़ो को धूप में जरूर सूखा देना चाहिए।
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लेखक :- ए. पी. सिंह M.Sc. agronomy (www.agriculturebaba.com)
सहायक :- लिनी श्रीवास्तव M.Sc.(Agronomy)
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