हवा का तापक्रम
AIR TEMPERATURE
सौर विकिरण हवा के तापक्रम का प्रमुख स्त्रोत हैं। पृथ्वी के वातावरण के बाहरी सतह पर सौर विकिरण बिल्कुल स्थिर रहता हैं। किन्तु जो विकिरण पृथ्वी पर पहुँचती हैं उसमें काफी भिन्नता होती हैं। यह भिन्नता बादलों की उपस्थिति से काफी प्रभावित होती हैं। कुछ विकिरण बादलों की सतह से शून्य (Space) में लौट जाता हैं। बादलों की अनुपस्थिति में वातावरण पार करके विकिरण पूरे का पूरा पृथ्वी की सतह पर पहुँचता हैं। कुछ विकिरण वातावरण के गैस अणु तथा धूल कणों से टकरा कर बिखर जाता हैं और पृथ्वी पर नहीं आता। बादलों के औसत आच्छादन की दशा में पुरे विकिरण का 43% पृथ्वी पर आता हैं और वातावरण में लगभग 22% रह जाता हैं। लगभग 35%पुनः शून्य (Space) में लौट जाता है। परावर्तित सौर विकिरण में कोई परिवर्तन नहीं होता हैं। किन्तु जो विकिरण वातावरण अथवा पृथ्वी में शोषित हो जाता हैं वह तापीय ऊर्जा (Thermal Energy) में परिवर्तित हो जाता हैं। लम्बी तरंगों के रूप में यह पदार्थों को गर्मी प्रदान करता हैं।
दैनिक तथा मौसमी विविधता (Diurnal and Seasonal Variation):- आप सभी जानतें हैं की रात की अपेक्षा दिन का तापमान अधिक होता हैं। रात और दिन के बिच में तापक्रम की विविधता को दैनिक तापक्रम विविधता (Diurnal Temperature Variation) कहतें हैं। यह भी सर्वविदित हैं की सर्दियों की अपेक्षा गर्मियों में तापक्रम अधिक होता हैं। इसे मौसमीय तापक्रम विविधतता (Seasonal Temperature Variation) कहतें हैं। मौसमी ताप में विविधितता विषुवत रेखा पर कम तथा उचाई (Higher Altitude) पर अधिक होता हैं।
क्षैतिज तथा ऊर्ध्वार्धर विविधतता (Horizontal and Vertical Variations):- भू-मध्य रेखा से ध्रुवों की ओर तापक्रम धीरे-धीरे कम होता जाता हैं। ये ऊंचाई के तापक्रम सामान्य प्रभाव हैं। पृथ्वी के वृतांश के कारण इस पर सूर्य की किरणे तिरछी पड़ी हैं। हवा के क्षैतिज तापक्रम की विविधता को मापने के लिए आइसोथर्म (Isotherms) का प्रयोग किया जाता हैं। समान तापक्रम बिन्दुओं को मिलाने वाली रेखा को आइसोथर्म कहतें हैं। क्षैतिज तापक्रम में सर्दी तथा गर्मी के कारण विवधता बड़े भू-भाग पर अधिक होती हैं।
तापक्रम में गिरावट (Temperature Gradient):- अक्षांश (Altitude) के बढ़ने के साथ-साथ तापक्रम में गिरावट आती रहती हैं। अधिक अक्षांश पर तापक्रम गिरने को ऊर्ध्वार्धर तापक्रम में गिरावट (Decrease in Vertical Temperature) कहतें हैं। इस गिरावट के निम्न कारण हैं :- (1) पृथ्वी के द्धारा हवा गर्म होती हैं (2) अक्षांश के बढ़ने से हवा की वाष्प कम होती हैं जिससे गर्मी रोकने की क्षमता कम होती हैं (3) अधिक ऊंचाई पर हवा फैलती हैं।
ह्रास दर (Laps Rate):- ऊर्ध्वार्धर तापक्रम में गिरावट को ह्रास दर के द्धारा व्यक्त किया जाता हैं। इसमें बहुत विविधता होती हैं। किन्तु एक स्थान के ह्रास गतियों का औसत निकाला जा सकता हैं जिसे सामान्य ह्रास गति कहतें हैं। सामान्य गति 6.5 डिग्री सेल्सियस प्रति किलोमीटर अथवा 3.5 डिग्री फ़ारेन्हाईट प्रति 1000 फिट होती हैं।
एडायबैटिक अथवा रुद्धोष्म ह्रास दर (Adiabatic Lapse Rate):- जिस गति से हवा के उठने तथा गिरने से तापक्रम परिवर्तित होता हैं उसे एडायबैटिक ह्रास (Adiabatic Lapse Rate) दर कहतें हैं। यह गति केवल शुष्क हवा के लिए स्थिर रहती हैं। शुष्क एडायबैटिक हवा की गति 10 डिग्री सेल्सियस प्रति किलोमीटर होती हैं।
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