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sindhu ghaatee kee sabhyata

 

प्राचीन इतिहास







सिंधु घाटी की सभ्यता



  1. पशुपालन का प्रारंभ मध्य पाषाण काल में हुआ। 
  2. पशुपालन के साक्ष्य भारत में आदमगढ़ (होशंगाबाद, म.प्र.) तथा बागोर (भीलवाड़ा, राजस्थान) से प्राप्त हुए।
  3. मध्य पाषाण कालीन महदहा (प्रतापगढ़, उ.प्र.) से हड्डी एवं सींग निर्मित उपकरण प्राप्त हुए।
  4. भारत में मानव का सर्वप्रथम साक्ष्य मध्य प्रदेश के पश्चिमी नर्मदा क्षेत्र से मिला है।
  5. नर्मदा क्षेत्र की खोज वर्ष 1982 में की गई थी। 
  6. मानव कंकाल के साथ कुत्ते का कंकाल बुर्जहोम (जम्मू-कश्मीर) से प्राप्त हुआ।
  7. गर्त आवास के साक्ष्य भी बुर्जहोम से प्राप्त हुए।
  8. बुर्जहोम पुरास्थल की खोज वर्ष 1935 में डी टेरा एवं पीटरसन ने की थी।
  9. सर्वप्रथम खाद्यान्नों का उत्पादन नवपाषाण काल में प्रारंभ हुआ।
  10. ब्लूचिस्तान के कच्छ मैदान स्थित मेहरगढ़ से सर्वप्रथम प्राचीनतम स्थायी जीवन के प्रमाण मिले।
  11. चालकोलिथिक युग को ताम्र पाषाण युग के नाम से भी जाना जाता है।
  12. नवदाटोली, मध्य प्रदेश का एक महत्वपूर्ण ताम्रपाषाणिक पुरास्थल है, जो खारगोन जिले में स्थित है। नवदाटोली का उत्खनन एच.डी. सांकलिया ने कराया था।
  13. नवपाषाण कालीन पुरास्थल से 'राख के टीले' कर्नाटक में मैसूर के पास वेल्लारी जनपद में स्थित संगनकल्लू नामक स्थान से प्राप्त हुए।
  14. गेरुवर्णी गैरिक  मदभांड पात्र (OCP) के साक्ष्य हस्तिनापुर एवं अतरंजीखेड़ा से प्राप्त हुए हैं।
  15. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण संस्कृति मंत्रालय के अधीन एक विभाग हैं।
  16. भारत में 1861 ई. में एलेक्जेंडर कनिंघम को पुरातत्व के रुप में नियुक्त किया गया था।
  17. लार्ड कर्जन के समय वर्ष 1901 में इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के केंद्रीकृत कर जान मार्शल को इसका प्रथम महानिदेशक बनाया गया। 
  18. राष्ट्रीय मानव संग्रहालय, जिसका नाम बदलकर 'इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय' कर दिया गया है, भोपाल (म.प्र.) में स्थित हैं।
  19. सैन्धव सभ्यता आध-ऐतिहासिक काल की सभ्यता है। 
  20. पुरातात्विक साक्ष्यो में अलग-अलग कालों में पाए गए मृदभाण्ड ही सिंधु घाटी सभ्यता को आयों से पूर्व का सिद्ध करते हैं। 
  21. काले रंग की आकृतियों से चित्रित लाल मृदभांड जहां हड़प्पा सभ्यता की विशेषता है, वहीं धूसर एवं चित्रित धूसर मृदभाण्ड (जो बाद के है ) आर्यों से संबंधित माने गए हैं।
  22. सिंधु घाटी सभ्यता नगरीय थी, जबकि वैदिक सभ्यता ग्रामीण थी।
  23. पुरातात्विक खुदाई हड़प्पा संस्कृति की जानकारी का प्रमुख स्रोत है।
  24. हड़प्पावासियों को तांबा, कांसा, स्वर्ण और चांदी की जानकारी थी।
  25. प्रारंभिक हड़प्पा सभ्यता में पैर से चालित चाक का प्रयोग किया जाता था।
  26. परिपक्व हड़प्पा के दौर में हाथ से चालित चाकों का प्रयोग किया जाने लगा था।
  27. मूर्ति पूजा का प्रारंभ पूर्व आर्य काल से माना जाता है। हड़प्पा संस्कृति की मुहरों एवं टेराकोटा कलाकृतियों में गाय का चित्रण नहीं मिलता जबकि हाथी, गैंडा, बाघ, हिरण, भेड़ा आदि का अंकन मिलता है।
  28. हड़प्पा सभ्यता के स्थलों में से खंभात की खाड़ी के निकट स्थित लोथल से गोदीवाड़ा के साक्ष्य मिले हैं।
  29. राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में घग्घर नदी के किनारे स्थित कालीबंगा से जुते हुए खेत के साक्ष्य मिले हैं।
  30. गुजरात के धौलावीरा से हड़प्पा लिपि के बड़े आकार के 10 चिह्नों वाला एक शिलालेख मिला है।
  31. हरियाणा के फतेहाबाद जिले में स्थित बनावली से पकी मिट्टी की बनी हुई हल की प्रतिकृति मिली है।
  32. सैंधव सभ्यता के महान स्नानागार के साक्ष्य मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुए हैं।
  33. सैंधव सभ्यता कांस्ययुगीन सभ्यता थी तथा यहां के लोग लोहे से परिचित नहीं थे।
  34. राखीगढ़ी हरियाणा के हिसार जिले में घग्घर नदी पर स्थित है।
  35. राखीगढ़ी स्थल को खोज वर्ष 1969 में सूरजभान ने की थी।
  36. मोहनजोदो तथा चन्हूदड़ों दोनों सिंध प्रांत में तथा सुरकोटदा गुजरात में स्थित हैं।
  37. रंगपुर गुजरात के काठियावाड प्रायद्वीप में भादर नदी के पास स्थित हैं। 
  38. रंगपुर गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में है।
  39. रंगपुर में धान की भूसी के ढेर मिले हैं। 
  40. रंगपुर की खुदाई वर्ष 1953-1954 में ए. रंगनाथ राव द्वारा की गयी थी। 
  41. रंगपुर से प्राक्-हड़प्पा और उत्तर-हड़प्पाकालीन सभ्यता के साक्ष्य मिले हैं। रंगपुर से कच्ची ईंट के दुर्ग, नालिया, मुहमांड मिले हैं
  42. दधेरी एक परवर्ती पुरास्थल है, जो पंजाब प्रांत के लुधियाना जिले में गोविंदगढ़ के पास स्थित है।
  43. सिंधु घाटी सभ्यता का विस्तार उत्तर में झेलम नदी के पूर्वी तट से दक्षिण में यमुना की सहायक नदी हिंडन के तट तक माना जाता हैं।
  44. सिंधु घाटी के लोग पशुपति शिव की पूजा भी करते थे।
  45. इसका प्रमाण मोहनजोदड़ो से प्राप्त एक मुहर हैं, जिस पर योगी की आकृति बनी है। 
  46. उस योगी के दाईं ओर बाघ और हाथी तथा बाई ओर गैंडा एवं भैसा चित्रित किए गए हैं।
  47. योगी के सिर पर एक त्रिशूल जैसा आभूषण है तथा इसके तीन मुख हैं।
  48. मार्शल महोदय ने इसे रुद्र शिव से संबंधित किया है।
  49. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के महानिदेशक सर जॉन मार्शल के निर्देश पर वर्ष 1921 में दयाराम साहनी ने पंजाब (पाकिस्तान) के तत्कालीन मांटगोमरी सम्प्रति शाहीवाल जिले में रावी नदी के बाएं तट पर स्थित हड़प्पा के टीले की खुदाई की। 
  50. वर्ष 1922 में राखालदास बनर्जी ने सिंध प्रांत के लरकाना जिले में सिंधु नदी के दाहिने तट पर स्थित मोहनजोदड़ों के टीलों का पता लगाया।
  51. सर्वप्रथम मानव द्वारा तांबा धातु का प्रयोग किया गया।
  52. वस्त्रों के लिए कपास का उत्पादन सर्वप्रथम भारत में किया गया। 
  53. सिंधु घाटी में कपास के उत्पादन का प्रमाण मिला।
  54. मोहनजोदड़ो (वर्तमान पाकिस्तान के लरकाना जिले में स्थित) के उत्खनन से कपास के सूत की प्राप्ति की गई थी।
  55. मोहनजोदड़ो से कूबड़ वाले बैल (ककुदमान वृषभ) की आकृति वाली मुहर प्राप्त हुई है।
  56. सिंधु सभ्यता की मुहरों पर सर्वाधिक अंकन एक श्रृंगी बैलों का है उसके बाद कूबड़ वाले बैल का है।
  57. कालीबंगा के मृण-पट्टिका पर एक ओर दोहरे सींग वाले देवता का अंकन है। 
  58. दूसरी ओर बकरी को दिखाया गया है, जिसे एक पुरुष ला रहा हैं।
  59. सिंधु सभ्यता में मातृदेवी की उपासना सर्वाधिक प्रचलित थी।
  60. मिस्र की सभ्यता का विकास नील नदी की द्रोणि में हुआ।
  61. मिस्र को नील नदी का उपहार कहा जाता है, क्योंकि इस नदी के अभाव में यह भू-भाग रेगिस्तान होता।
  62. सुमेरिया सभ्यता के लोग प्राचीन विश्व के प्रथम लिपि-आविष्कर्ता थे।
  63. सुमेरिया की क्यूनीफार्म लिपि को सामान्यतः प्राचीनतम लिपि माना जाता है।
  64. सिंधु सभ्यता की लिपि भाव चित्रात्मक थी। यह लिपि दाएं से बाएं ओर लिखी जाती थी।


सिंधु सभ्यता के प्रमुख स्थल एवं उत्खननकर्ता/खोजकर्ता






प्रमुख स्थल                                         उत्खननकर्ता/खोजकर्ता                                  वर्ष


हड़प्पा                                                 दयाराम साहनी                                            1921 

मोहनजोदड़ो                                         राखालदास बनर्जी                                         1922

रोपड़                                                   यज्ञदत्त शर्मा                                               1953-55

लोथल                                                 एस. आर. राव                                              1954-55

कालीबंगा                                             बी.बी. लाल                                                  1961-69

रंगपुर                                                  एम. एस. वत्स                                             1934-35

चन्हूदड़ो                                              एन. जी. मजूमदार                                         1931

सुरकोटदा                                            जे. पी. जोशी                                                 1964

बनावली                                              आर. एस. विष्ट                                             1974-77

आलमगीरपुर                                       यज्ञदत्त शर्मा                                                1958

कोटदीजी                                            फजल अहमद खां                                            1957-58

सुत्कागेनडोर                                       ऑरेल स्टाइन                                                 1927

माण्डा                                                जे. पी. जोशी                                                   1982

बालाकोट                                           जॉर्ज एफ. डेल्स                                                1973-76

धौलावीरा                                           जे. पी. जोशी                                                    1967-68

मिताथल                                            सूरजभान                                                        1968

राखीगढ़ी                                            सूरजभान                                                        1969




हड़प्पा कालीन नदियों के किनारे बसे नगर

 

नगर                          नदी/सागर तट 

 

हड़प्पा                                               रावी 
मोहनजोदड़ों                                       सिन्धु 
रोपड़                                                 सतलज 
कालीबंगा                                           घग्घर 
लोथल                                               भोगवा 
सुत्कागेंडोर                                         दाश्त 
सोतकाकोह                                        शादिकौर 
आलमगीरपुर                                      हिन्डन 
रंगपुर                                                भादर 
कोटदीजी                                           सिन्धु 
कुणाल                                              सरस्वती 
चन्हूदड़ो                                            सिन्धु 
बनावली                                            सरस्वती 
माण्डा                                               चिनाब 
भगवानपुरा                                        सरस्वती 
दैमाबाद                                             प्रवरा 
आमरी                                              सिन्धु 
राखीगढ़ी                                           घग्घर 


लेखक :- अंशिका सिंह पटेल (B.A., B.T.C.) (www.agriculturebaba.com)  

सहायक :- अरुणेन्द्र प्रताप सिंह (M.Sc. Agronomy

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