फसले
विश्व की प्रमुख फसलों की संक्षिप्त जानकारी निम्न शीर्षों के अंतर्गत प्राप्त की जा सकती हैं। (विभिन्न फसलों के लिए आवश्यक भौगोलिक दशाओं की जानकारी हेतु भारत में कृषि के नीचे दिए गए टॉपिक्स को ध्यान पूर्वक पड़े।
1. चावल:- चावल मुख्य्तः एशिया के मानसूनी प्रदेशों में बोई जाने वाली फलस हैं। चावल उत्पादक देशों में जनसंख्या घनत्व अधिक होने के कारण स्थानीय उपभोग के लिए चावल की मांग अधिक हैं। अतः चावल की बहुत बड़ी मात्रा विदेशी व्यापार के लिए उपलब्ध नहीं हैं। चावल की प्रति हेक्टेयर उत्पाकता सबसे अधिक मिस्र में हैं। चीन विश्व में सबसे अधिक (30%) चावल का उत्पादन करता हैं। यहां चावल की खेती के महत्वपूर्ण क्षेत्र यांग्त्सीक्यांग, सिक्यांग और जेचवान वेसिन हैं। भारत चावल की फसल के अंतर्गत विश्व में सर्वाधिक क्षेत्रफल रखता हैं, परन्तु निम्न उत्पादकता के कारण चावल उत्पादन में भारत का चीन के बाद विश्व में दूसरा स्थान (20%) हैं।
इंडोनेशिया का जावा दिप चावल की खेती अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। भारत-बांग्लादेश के गंगा-ब्रम्हपुत्र डेल्टा क्षेत्र में जलोढ़ मिट्टी, भरी वर्षा एवं नदियों के जल की उपलब्धता चावल अनुसंधान संस्थान, मनीला (फिलीपींस) में हैं। विश्व में पिक्षले वर्षों की तुलना में चावल उत्पादकता कम हुआ हैं। जिसके प्रभाव स्वरूप चीन में भी 3% की कमी आयी हैं। भारत में भी 6% की कमी आई हैं। यह मानसून विचलन एवं बदलते जलवायु के प्रभाव का परिणाम हैं।
2. गेहू:- इसकी जन्मभूमि 'फिलिस्तीन' माना जाता हैं। गेहूं के पौधों में अनुकूलनशीलता बहुत अधिक होती हैं, इसीलिए यह साइबेरिया से लेकर उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों तक पैदा किया जा सकता हैं। ऋतु के अनुसार गेहूं की दो फसलें हैं-
- शीत ऋतु का गेहूं, जहाँ ग्रीष्म ऋतु पाई जाती है, और
- बसंत ऋतु का गेहूं, जहां शीत ऋतु अत्यधिक कठोर होती हैं।
3. मक्का:- इसका मूलस्थान दक्षिणी 'मैक्सिकों' माना जाता हैं। यह उपोषण कटिबंध का पौधा हैं तथा मुख्य रूप से 50 डिग्री उत्तरी और 40 डिग्री दक्षिणी अक्षांशो के बीच उत्पन्न होता हैं। विश्व में मक्के का लगभग आधा उत्पादन संयुक्त राज्य अमेरिका में होता हैं। यह एक उभयलिंगाश्रयी (Monoesious) पौधा हैं, जिसके प्रोटीन को 'जेन' (Zein) कहतें हैं।
4. चाय:- यह एक महत्वपूर्ण पेय हैं, जो एक सदाबहार पौधे की कोमल पतियों से तैयार की जाती हैं। इसकी बागवानी या रोपण कृषि की जाती हैं। भारत व श्रीलंका में काली चाय, चीन व जापान में हरी चाय एवं ताईवान में ओलंग चाय प्रसिद्ध हैं। भारतीय चाय विश्व में सर्वोच्च कोटि की हैं। चाय के क्षेत्रफल की दृष्टि से यद्धपि चीन का प्रथम स्थान हैं, परन्तु उत्पादन की दृष्टि से भारत विश्व में प्रथम स्थान रखता हैं। श्रीलंका संसार में सबसे बड़ा (27%) चाय तिर्यातक हैं, उसके बाद केन्या का स्थान आता हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका इसका सबसे बड़ा आयातक देश हैं।
5. कहवा:- यह भी चाय की भाटी रोपण कृषि का उत्पाद एवं महत्वपूर्ण पेय पदार्थ हैं। कहवा की तीन मुख्य किस्में हैं:- काँफिया लाइबेरिया, काँफिया अरेबिका और काँफियां रोबस्टा। ब्राजील में साओपोलो को 'विश्व का कहवा-पात्र कहा जाता हैं। कोम्बिया और इंडोनेशिया के जावा द्धीप में कहवा उत्पादन की आदर्श भौगोलिक दशाएं पाई जाती हैं। जमैका का 'ब्लू माउंटेन' विश्व में सर्वोच्च कोटि का कहवा हैं। 'अल्टा-वेरा- पाज' उत्तरी ग्वाटेमाला का एवं 'मोका' (Mocca) कहवा यमन के लाल सागर के तटीय भाग में उत्प्पन होने वाला उच्च कोटि का कहवा हैं। ब्राजील व कोलंबिया विश्व के कहवे के क्रमशः सबसे बड़े निर्यातक हैं जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका सबसे बड़ा आयातक देश हैं।
6. गन्ना:- गन्ना मुख्यतः उष्णकटिबंधीय आर्द्र जलवायु की फसल हैं, जिसका उद्भव क्षेत्र पूर्वी व दक्षिणी-पूर्वी एशिया माना जाता हैं। यूरोप के देशों को इसका ज्ञान अरबों ने कराया था। भारत के अलावा ब्राजील, क्यूबा, हवाई द्धीप, जावा दीप, फिजी, मारीशस आदि देशों में भी गन्ने पर्याप्त उत्पादन होता हैं।
7. चुकन्दर:- यह मुख्यतः शमशीतोष्ण कटिबंध की फसल हैं। इससे चीनी भी बनाई जाती हैं। इसकी कृषि को मुख्यतः 'यूरोपीय कृषि' कहा जाता हैं।
8. कोको:- उष्णकटिबंधीय वनो में केकेओ (Cacao) नामक वृक्ष उगतें हैं, जिनके फलों के बीजों को कोको (Cocoa) कहतें हैं। इस वृक्ष का मूलस्थान लैटिन अमेरिका का उष्णकटिबंधीय भाग हैं। कोको दो प्रकार के होते हैं - क्रीडलों (दक्षिण अमेरिका) और फॉरेस्टों (अफ्रीका)। आइवरी कोस्ट, ब्राजील, घाना एवं नाइजीरिया इसके प्रमुख उत्पादक देश हैं।
9. कपास:- कपास 'मालवेसी' कुल का पौधा हैं। भारत को कपास का जन्मदाता माना जाता हैं। रेशों की लम्बाई के आधार पर कपास को अनेक किस्मों में विभाजित किया जाता हैं। सबसे उत्तम कोटि के कपास के रेशे की लम्बाई 5.0 सेमी. से अधिक होती हैं। कपास की यह किस्म संयुक्त राज्य अमेरिका और वेस्टइंडीज में उतपन्न की जाती हैं। इसे द्वीपीय कपास कहतें हैं। द्धितीय कोटि के कपास की लम्बाई 3.75 - 5.00 सेमी. होती हैं। इसका उत्पादन नील नदी की घाटी एवं पूर्व सोवियत संघ से अलग हुए देशों में किया जाता हैं। इसे मिस्री कपास भी कहा जाता हैं। 2.50 - 3.75 सेमी. लम्बी कपास को उच्चभूमि की अमेरिकी कपास भी कहा जाता हैं। छोटे रेशे वाली कपास 2.50 - 3.75 सेमी. से भी छोटी होती हैं। जिसे भारतीय कपास कहतें हैं। उत्तम गुणवत्ता के कारण मिस्र की कपास को 'सफेद सोना' (White Gold) कहा जाता हैं।
10. प्राकृतिक रबड़:- यह अमेजन बेसिन में जंगली रूप से उगने वाले 'हेविया ब्राजिलिएन्सिस' नामक वृक्ष के दूधनुमा द्रव (Latex) से बनाया जाता हैं। यह अत्यधिक उष्णार्द्र दशाओं में उतपन्न होता हैं।
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