किसान मित्रों के लिए वर्मी-कम्पोस्ट एक वरदान
Vermi-compost is a boon for farmer friends
कोरोना वायरस के संकट ने पुरे विश्व को अपनी चपेट में ले लिया हैं। इस वैश्विक महामारी ने जीवन के हर क्षेत्र को अपनी इस संक्रमण से प्रभावित किया हैं। कोरोना के अतिरिक्त आंधी, तूफान, एवं अन्य प्राकृतिक आपदाओं ने किसान मित्रों के लिए परिस्थिति को दयनीय कर दिया हैं। असमय ओलावृष्टि को हो या अभी हाल में ही आए हुए तूफान की हो इन सभी प्राकृतिक आपदाओं ने किसानों की खुशहाली पर ग्रहण लगा दिया हैं।
ऐसे में अब समय हैं की खेती में कुछ नए तकनीकी प्रयोगों के द्धारा कृषि क्षेत्र को लाभकारी बनाने का हैं एवं आज www.agriculturebaba.com आप सभी किसान मित्रों से जैविक या ऑर्गैनिक खेती के विषय में आप सभी से चर्चा करेंगें। आज के समय में पुरे विश्व के लगभग अत्यधिक देश इस पद्धति के विषय में अनुसरण कर रहे हैं एवं उनके खेती को लाभकारी बना दिया हैं।
इस पद्धति में जैविक खाद एवं कीटनाशक का बिशेष महत्व हैं। तो आए इस जैविक खाद (वर्मीकम्पोस्ट) के विषय में आप सभी से विचार-बिमर्श करतें हैं-
In such a situation now is the time to make agriculture sector profitable through some new technological experiments in farming and today www.agriculturebaba.com will discuss with you all farmers friends about organic or organic farming. In today's time, almost all the countries of the world are following this method and have made their farming beneficial.
Organic fertilizers and pesticides have special importance in this method. So come here and discuss with you all about this organic fertilizer (vermicompost)
क्या हैं वर्मीकम्पोस्ट ?
मिटटी की उर्वराशक्ति एवं पोषक तत्वों के संतुलन में जैविक खाद का विशेष महत्व हैं। इस विधि में फसल मृदा तथा पौध पोषक तत्वों का संतुलन बनाये रखने में जैविक अवयवों जैसे- फसल अवशेष, गोबर की खाद, कम्पोस्ट, हरी-खाद, जीवाणु खाद का प्रयोग किया जाता हैं। ये खाद पूरी तरह से केमिकल फ्री होने के कारण मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि एवं संरक्षण करती हैं। वर्मी-कम्पोस्ट खाद का उत्पादन केंचुए के द्धारा विशेष प्रकार के गढ़ढो में तैयार किया जाता हैं। ये केंचुए अनुपयोगी जैविक पदार्थों का अल्प अवधि में संश्लेषण करके मृदा की उर्वरा शक्ति और फसल उत्पादन बढ़ाने वाली खाद का निर्माण करतें हैं। केंचुए के माध्यम से निर्मित होने वाली इस जैविक खाद को वर्मी-कम्पोस्ट कहतें हैं।
What is vermicompost ?
Organic fertilizers have special importance in soil fertility and nutritional balance. In this method, organic ingredients like crop residue, cow dung, compost, green manure, bacterial manure are used to maintain balance of crop soil and plant nutrients. These fertilizers are completely chemical free and increase soil fertility and conserve. The production of vermi-compost manure is prepared by earthworms in special types of pits. These earthworms synthesize unusable organic matter in a short period of time and make fertilizer to increase soil fertility and crop production. This organic manure produced through earthworms is called vermi-compost.
गढ्डों के मौसम के अनुसार देख-रेख जरूरी हैं। गर्मी में इस गड्ढे पर पानी का छिड़काव बहुत जरूरी हैं। गड्ढे में उपस्थित केंचुए इन कार्बनिक पदार्थों को खाकर वर्मी-कम्पोस्ट तैयार करने की प्रक्रिया में 3 से 4 माह का समय लगता हैं। बता दे की गड्ढे की ऊपरी सतह का कला होने का अर्थ हैं की आपकी वर्मी-कम्पोस्ट तैयार हो चुकी हैं। केंचुए की त्वरित प्रजनन क्रिया के लिए गड्ढे में 30 से 40 प्रतिशत नमी होना अति-आवश्यक हैं। उचित वातायन एवं अंधेरें का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी होता हैं। स्वभावतः केंचुए अंधेरें में रहना पसन्द करतें हैं। अतः केंचुए के गड्ढों के ऊपर बोरी अथवा छप्पर की छाया बहुत जरूरी होती हैं। उपयुक्त बातों का ध्यान रखा जाए तो केंचए प्रायः 4 सप्ताह में वयस्क होकर प्रजननं करने लायक बन जातें हैं।
Care is necessary according to the season of pits. Spraying of water on this pit in summer is very important. The process of preparing vermi-compost by eating these organic materials in earthworm takes 3 to 4 months. Explain that the art of the top surface of the pit means that your vermi-compost is ready. For quick breeding of earthworms, having 30 to 40 percent moisture in the pit is essential. It is also very important to take care of proper ventilation and darkness. Naturally earthworms like to live in the dark. Therefore, sack or thatch shade over earthworm pits is very important. If appropriate things are taken care of, then in 4 weeks, the earthworms become adults and become fertile.
वर्मी-कम्पोस्ट का प्रयोग
तैयार वर्मी-कम्पोस्ट को खुली जगह पर ढ़ेर बनाकर छाया में सूखने देना चाहिए किन्तु ये अवश्य ध्यान रखना चाहिए की इसमें नमी बरकरार रहें एवं सूखने के पश्चात् वर्मीकम्पोस्ट का उपयोग अन्य खादों की तरह से बुआई के पहले खेत या वृक्ष के थालों में किया जाना चाहिए। फलदार वृक्ष-बड़े फलदार वृक्षों के लिए पेड़ के थालों में 3 से 5 किलों वर्मी-कम्पोस्ट मिलाए एवं गोबर तथा फसल अवशेष इत्यादि डालकर नमी की व्यवस्था करें। इसी प्रकार सब्ज़ी वाली फसलों के लिए 2 से 3 टन प्रति एकड़ की दर से वर्मी-कम्पोस्ट खेत में डालकर रोपाई या बुआई करनी चाहिए। इसी प्रकार दलहन,तिलहन एवं अन्य सामन्य फसलों के लिए भी 2 से 3 टन वर्मी-कम्पोस्ट का उपयोग बुआई के पूर्व करना चाहिए।
Use of Varmi-compost
The prepared varmi-compost should be stacked in the open area and allowed to dry in the shade, but it must be kept in mind that moisture is retained and after drying the vermicompost should be used in the fields of plant or tree before sowing like other fertilizers. . Fruity trees - For large fruitful trees, mix 3 to 5 forts of vermi-compost and put moisture in the cow dung and crop residues etc. Similarly, for vegetable crops, sowing or sowing should be done at the rate of 2 to 3 tonnes per acre in vermi-compost field. Similarly, for pulses, oilseeds and other general crops, 2 to 3 tons of vermi-compost should be used before sowing.
वर्मी-कम्पोस्ट के लाभकारी प्रभाव
आप किसान मित्रों को बता दे की जैविक रूप से तैयार वर्मी-कम्पोस्ट में नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटाश के अतिरिक्त विभिन्न प्रकार के सूक्ष्म पोषक तत्व भी पाए जातें हैं। पूर्णतया जैविक एवं प्राकृतिक होने के कारण ये मृदा की उर्वरता में वृद्धि के साथ ही साथ उत्पादन में भी वृद्धि करती हैं। वर्मी-कम्पोस्ट के प्रयोग से खेत उर्वर होतें है एवं बंज़र होने की समस्या का शिकार नहीं होतें हैं। जैविक खाद होने के कारण वर्मी-वाम्पोस्ट में लाभदायक सूक्ष्म जीवाणुओं क्रियाशीलता अधिक होती हैं। ये खाद भूमि में रहने वाले सूक्ष्म जीवों लिए लाभदायक एवं उत्प्रेरक का कार्य करती हैं। वर्मी-वोमॉप्स्ट के प्रयोग से मृदा में जीवांश पदार्थ(ह्यूमस) की वृद्धि होती हैं। जिससे मृदा संरचना, वायु संचार तथा जल धारण क्षमता बढ़ने के साथ-साथ भूमि की उर्वरा शकित में भी वृद्धि होती हैं। वर्मी-कम्पोस्ट निर्माण के माध्यम से अपशिष्ट पदार्थों या जैव अपघटित कूड़े-कचरे का पुनः-चक्रण (रिसाइक्लिंग) आसानी से किया जा सकता हैं। ये पूर्णतया जैविक खाद होने के कारण इससे उत्पादित कृषि उत्पादों का बाजार मूल्य किसानों को अधिक मिलता हैं। अतः ये कहना न्याय-संगत होगा की वर्मी-कम्पोस्ट खाद किसानों को आबाद करने का अचूक मन्त्र हैं।
Beneficial effects of vermi-compost
शब्दों में कहा जाए तो "जीवन के दीर्घकालीन के अनुभवों को छोटे वाक्य में कहना ही कहावतें कहलाती हैं। जैसे की आज के वैज्ञानिक भी पुराने कहावतों को लोहा मान रहे हैं।
हिंदी:-
गोबर, मैला, नीम की खली, इनसे खेती दूनी फली।
जेकरे खेत पड़ा नहीं गोबर, उस किसान को जानो दूबर।।
गोबर, मैला, पाती सड़े, तब खेती में दाना पड़े।
खादी, घुरा न टरे, कर्म लिखा टर जाए।।
In words, "Saying the long-term experiences of life in short sentences is called proverbs. Like today's scientists are also considering old proverbs as iron."
English:-
Dung, sloppy, neem cake, double pods cultivated from them.
The jackal field was not dung, know that farmer.
Dung, muddy, rotten, rotten, then the grain has to be cultivated.
Khadi, do not turn around, written karma.
इस कहावत का लोहा आज के वैज्ञानिक भी मान रहे हैं की वैज्ञानिक का कहना है की अगर किसान को अपनी किस्मत बदलनी हो गोबर के खाद का इस्तेमाल करें। इससे पैदावार के साथ-साथ भूमि की उर्वरा-शक्ति भी बढ़ जाती हैं।
पौधो की वृद्धि के लिए 13 तत्वों की जरूरत होती हैं।
आज कल के वैज्ञानिकों का मानना हैं की सभी जैविक खादों में गोबर की खाद सबसे अच्छी होती हैं। इस खाद में पौधों के लिए सभी आवश्यक पोषक उपस्थित होते हैं, गोबर से पौधे का बढ़वार व रोग लगने की सम्भवना बिल्कुल नहीं होती हैं, एवं खेत में नमी बरकरार रहती हैं, जबकि रासायनिक खाद एक विशेष पोषक तत्व के लिए होती है, इसके प्रयोग से भूमि की संरचना प्रभावित होती हैं।
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1 comments:
Click here for commentsVery nice and helpful post...
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